बाढ़। छठ पूजा में उपासकों के द्वारा हाथ से बना हुआ खास तरह के मिट्टी के चूल्हों का इस्तेमाल किया जाता है। इसका विशेष महत्व है। हिंदुओं की आस्था का चारदिवसीय पूजा छठ व्रत 9 नवंबर से नहाए-खाए के दिन से प्रारंभ हो जाएगा। छठ पूजा को लेकर तैयारियां जोर-शोर से शुरु हो गई है। छठ पर्व में प्रसाद बनाने के लिए पवित्र तरीके से महिलाओं के द्वारा मिट्टी के चूल्हे का निर्माण किया जा रहा है। विदित हो कि खरना को भगवान भास्कर को लगाए जाने वाले भोग का प्रसाद खास तरह के मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। अतः महिलाएं किसी स्थान को लीप कर मिट्टी के चूल्हों का निर्माण करती है, जिसका इस्तेमाल भगवान भास्कर के भोग के प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। अतः बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालुओं को मिट्टी के चूल्हे का निर्माण करते देखा गया। मिट्टी के चूल्हे पर बना हुआ प्रसाद का स्वाद नैसर्गिक एवं अद्भुत सुख प्रदान करने वाला होता है। महिलाएं स्नान ध्यान कर इस चूल्हे पर प्रसाद बनाती है और भगवान भास्कर और षष्टिदेवी को भोग लगाने के बाद भक्तों को प्रसाद खिलाया जाता है। दूसरी तरफ चारों तरफ साफ-सफाई की जा रही है एवं जगह-जगह पंडाल इत्यादि लगाए जा रहे हैं। छठ पर्व के शुभ अवसर पर अनुमंडल के कई जगहों पर श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान भास्कर की प्रतिमा स्थापित की जाती है, जिसको लेकर सजावट का कार्य भी युद्ध स्तर पर चल रहा है।

By LNB-9

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