पटना जिला ब्यूरो, बाढ़। बाढ़ और एनटीपीसी थाना क्षेत्र के ईट भट्टों पर लंबे समय से छोटे-छोटे बच्चों से मजदूरी कराया जा रहा है। बाढ़ में एलआईसी भवन के पास श्रम संसाधन विभाग का कार्यालय है और अधिकारी भी अक्सर यहां बैठते हैं। इसके बावजूद भी इन क्षेत्रों में अधिकारी के द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है, जिसके चलते खुलेआम इलाके में छोटे-छोटे बच्चों से बाल मजदूरी कराते हुए देखा जा रहा है। जिन बच्चों के हाथों में किताब-कलम होनी चाहिए, वह रात-दिन ट्रैक्टर के माध्यम से ग्राहकों तक ईंट पहुंचाने का काम कर रहे हैं और वहां ईंट उतार कर घर-परिवार चलाने का काम कर रहे हैं। कुछ बच्चे परिवारिक मजबूरी बताकर इस तरह का काम करने में जुटे हुए हैं, जबकि इलाके के लोगों का कहना है कि परिजन जान-बूझकर बच्चों को स्कूल भेजने की जगह काम करवाने के लिए मजबूर करते हैं।
विदित हो कि बाल मजदूरी पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार के द्वारा बाल श्रम निषेध कानून बनाया जा चुका है। यह कानून 1986 में बनाया गया था, जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैसे कामों से दूर रखने के लिए कहा गया है, जो बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर है। बाल श्रम अधिनियम,1986 में संशोधन कर 2017 में नए कानून के रूप में लागू किया गया है। बावजूद इसके कानून को ताख पर रखते हुए ईंट-भट्ठों के मालिक, होटल मालिक, आदि बच्चों से 12-12 घंटे तक काम लेते हैं और संबन्धित अधिकारी ऐसे लोगों पर कोई कार्रवायी नहीं करते। यही कारण है कि बाल मजदूरी की समस्या भारत में घटने के बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही हैं।