बाढ़। बाढ़ में माघी पूर्णिमा के अवसर पर लोग उमानाथ धाम, अलखनाथ तथा सीढ़ी घाट पर लाखों की संख्या में गंगा स्नान करने के लिए पहुंचते है। माघी पूर्णिमा को शास्त्र के अनुसार पवित्र दिन के रूप में माना जाता है, इसलिए कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से लोगों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र और सिंह राशि में स्थित होता है, इसलिये इस तिथि को माघ की पूर्णिमा कहा जाता है। माघी पूर्णिमा के महत्व के बारे में बताते हुए उमानाथ मंदिर के महंत जयमंगल भारती ने बताया कि माघी पूर्णिमा के दिन भगवान श्री हरि विष्णु का निवास गंगाजल में होता है, इसलिए इस तिथि को देवी-देवता गण भी गंगा स्नान के लिए प्रयाग में आते है।
वहीं दूसरी ओर महंत निगमा नंद भारती ने बताया कि माघी पूर्णिमा को स्नान करने से लोगों को पूण्य फल की प्राप्ति होती है। 16 फरवरी, बुधवार को प्रातः 9:42 मिनट से 10:55 मिनट तक स्नान-दान करने का शुभ मुहूर्त है। श्रद्धालु भक्तों को इसी शुभ मुहूर्त में स्नान-दान करना चाहिए। एक मान्यता यह भी है कि इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन पीपल के वृक्ष में भी होता है इसलिए पीपल के वृक्ष पर भी जल चढ़ाया जाता है, जिससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर सभी कष्टों को दूर करती है।