बाढ़। भारतीय संसद में पारित एक जुलाई से लागू तीन नए भारतीय आपराधिक कानून के उपलक्ष्य में बाढ़ थाना परिसर में पुलिस निरीक्षक सह थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार के नेतृत्व में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में कई पुलिस पदाधिकारियों एवं बाढ़ के प्रबुद्धजनों को आमंत्रित कर इन कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। थाना प्रभारी प्रदीप कुमार ने नए कानूनों को बेहद समसामयिक बताते हुए कहा कि जहां यह कानून निर्दोष लोगों के लिए लचीला है, वहीं दोषियों के लिए काफी कठोर है। यह नागरिकों को व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देने के अलावा समानता, निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ न्यायसंगत है। बता दें कि पूरे भारतवर्ष में 1 जुलाई से संसद में पारित तीन नए कानूनों को लागू कर दिया गया है। वहीं बाढ़ के एएसपी अपराजित लोहान ने कानून के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि भारतीय दण्ड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू होगा। इन कानूनों में विशेष बल मानवाधिकारों के मूल्यों के ऊपर दिया गया है। इन्हीं कानूनों के लागू होने के मद्देनजर बाढ़ अनुमंडल के सभी थानों में आम जनता एवं अनुसंधानकर्ताओं के साथ थानाध्यक्षों के नेतृत्व में सेमिनार बैठक की गई है। इस बैठक में नए कानूनों में जो परिवर्तन आए हैं, उसके बारे में आईओ को प्रशिक्षण दिया गया तथा आम जनता के साथ भी बातचीत की गई। इसमें महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा के लिए 37 नई धाराएं शामिल की गई है। अब नागरिक घटनास्थल के अतिरिक्त कही भी अपना एफआईआर दर्ज करा सकती है और वो एफआईआर की निःशुल्क कॉपी लेने के हकदार होंगे। 15 दिन के अंदर जांच में क्या प्रगति हुई है, इसके बारे में पुलिस पदाधिकारी को बताना अनिवार्य है। महिला अपराध की स्थिति में के 24 घंटे के अंदर चिकित्सक को जांच करना अनिवार्य है तथा उसकी कॉपी को 7 दिन के अंदर पुलिस को उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। इस नए कानून में छिनतई को गंभीर अपराध बताते हुए भारतीय न्याय संहिता के धारा 304 में शामिल किया गया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज, ई-ट्रायल, ई-समन, ई-नोटिस को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। आम जनता नए कानून के बारे में बाकी जानकारियों को एनसीआरबी मोबाइल ऐप की सहायता से प्राप्त कर सकते हैं। नए कानूनों के लागू होने पर पत्रकारों एवं कुछ प्रबुद्धजनों ने इसे स्वागतयोग्य बताया। आयोजित सेमिनार का संचालन साहित्यकार हेमंत कुमार ने किया।