पटना जिला ब्यूरो, बाढ़। हिन्दू धर्म मे एक तरफ धार्मिक आस्था और विश्वास के संचार से नैतिक और सामाजिक संस्कार को बढ़ावा मिलता है तो वहीं अंधविश्वास ठगी का माध्यम बनता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जहाँ श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान कर पूजा पाठ करते हैं तो वहीं कुछ अन्धविश्वास के चक्कर मे पड़कर ओझा गुणी के चंगुल में चले जाते हैं औऱ भूत प्रेत के नाम पर सीधे सादे ग्रामीणों को ठगने का काम शुरू हो जाता है। ऐसा ही नज़ारा उमानाथ घाट पर देखने को मिला। भगत और ओझा के रूप में भूत खेली का नाटक और फिर उससे छुटकारा दिलाने का दावा। कई जगहों पर इस तरह के दृश्य देखने को मिला जहाँ भूत खेली की जा रही थी। 21 वीं सदी के इस दौर में जहाँ अंधविश्वास का खेल जारी है, वहीं आज भी बालविवाह जैसी कुप्रथा कायम है। प्रशासन के नाक के नीचे ये सब होना चिंतनीय है।

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