बाढ़। बाढ़ के कई ईंट के भट्टों पर इन दिनों छोटे-छोटे बच्चों को भी अपने अभिभावकों के साथ काम करते देखा जा रहा है। इसके लिए सरकार के द्वारा चाइल्ड लेबर लॉ यानी बाल श्रम कानून भी बनाया गया है और संविधान में भी मजदूरी की उम्र निर्धारित कर दी गयी है। बाल श्रम निषेध व नियमन कानून 1986 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 13 प्रकार के पेशा और 57 प्रक्रियाओं में बच्चों के नियोजन को निषिद्ध किया गया है। भारत सरकार द्वारा बाल श्रम को समाप्त करने हेतु 1986 में बाल श्रम निषेध विनियमन अधिनियम पारित किया गया था, लेकिन बाढ़ के कई ईट-भट्टों की चिमनी पर इस कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। कई ईट-भट्टों पर 14 से कम उम्र के बच्चे काम करते देखे जा रहे है।

एक तरफ यूनाइटेड नेशंस के द्वारा साल 2021 में ‘इंटरनेशनल ईयर फ़ॉर द एलिमिनेशन ऑफ चाइल्ड लेबर’ के रूप में घोषणा की गई थी, जबकि भारत में आज भी छोटे-छोटे बच्चों से ईंट-भट्टों, होटलों, ढाबों और दुकानों में मजदूरी करते हुए देखे जा रहें हैं। एक अनुमान के अनुसार वैश्विक स्तर पर बाल श्रमिकों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है। राज्य सरकार के द्वारा बाल श्रम उन्मूलन करने के दृष्टिकोण से 14 वर्ष की आयु तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है। कुछ कार्य ऐसे हैं जिसे कानून की परिधि से मुक्त रखा गया है जैसे टीवी कार्यक्रम, फिल्मों, विज्ञापनों तथा कलाकार के रूप में कार्यरत बच्चों पर यह कानून लागू नहीं होता; बशर्ते कि उनके कार्यों से पढ़ाई बाधित न हो। बाल श्रम कानून के अनुच्छेद 23 के अनुसार खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार को प्रतिबंधित किया गया है।

By LNB-9

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