उपभोक्ताओं के विभिन्न प्रकार के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। उपभोक्ताओं के हितों और अधिकारों के प्रति यह विचार सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के मन में आया था। दरअसल पहली बार अमेरिका में रॉल नाडेर द्वारा उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत की गई थी, जिसके फलस्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकार बनाम संरक्षण पर पेश किए गए विधेयक का अनुमोदन किया। इस विधेयक में चार विशेष प्रावधान थे, जिसमें उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार, सूचना प्राप्त करने का अधिकार, उपभोक्ता को चुनाव करने का अधिकार और सुनवाई का अधिकार शामिल था। बाद में कुछ और अधिकारों को इसमें जोड़ा गया था।
भारत में उपभोक्ताओं के अधिकार के लिए आंदोलन की शुरुआत सबसे पहले महाराष्ट्र में हुई। राष्ट्र के प्रमुख शहरों में ग्राहक पंचायत के रूप में एक गैर सरकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया। कालाबाजारी, मिलावट की वस्तुएँ ,उच्च मूल्य पर बिक्री ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी आदि के खिलाफ यह आंदोलन तेज होता गया। 1974 में बी.एम. जोशी के नेतृत्व में ग्राहक पंचायत का गठन किया गया था। परिणाम तो 1986 में राजीव गांधी की सरकार द्वारा संसद में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित कर दिया गया। राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून लागू हो गया। इस कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने उपयोग के लिए वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है वह उपभोक्ता है। प्रत्येक उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता, सामर्थ्य, मात्रा, शुद्धता, कीमत और मानक के बारे में विस्तृत जानकारी रखने का अधिकार है।उपभोक्ता अधिकार दिवस के रुप में मनाया जाता है। उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं अर्थात ग्राहकों को किसी भी प्रकार की ठगी, धोखाधड़ी से बचाना और उन्हें जागरूक बनाना है। इस अवसर पर उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता फैलाने के लिए तरह तरह के कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक एवं गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। भारत में उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु जागरूकता लाने के लिए यह दिवस 24 दिसंबर को मनाया जाता है।
विश्व में पहली बार अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के द्वारा 15 मार्च 1983 को अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया गया था। केनेडी ने अपने भाषण में पहली बार उपभोक्ता अधिकारों की परिभाषा को रेखांकित किया था। ऐसा करने वाले वे विश्व के पहले व्यक्ति माने जाते हैं। गौरतलब है कि उपभोक्ता अधिकार दिवस को हर वर्ष एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। कंज्यूमर्स इंटरनेशनल ने विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की वर्ष 2021 की थीम ” टैकलिंग प्लास्टिक पॉल्यूशन” अर्थात प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना घोषित की है। विदित हो कि वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में मनाई गई उपभोक्ता अधिकार बनाम संरक्षण दिवस की थीम क्रमशः “ट्रस्टेड स्मार्ट प्रोडक्ट्स” यानी विश्वसनीय स्मार्ट उत्पाद तथा “दी सस्टेनेबल कंज्यूमर” अर्थात स्थायी ग्राहक था। वर्ष 2020 के थीम का उद्देश्य पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बारे में लोगों को बताना और वैश्विक स्तर पर जलवायु में हो रहे परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाना था। यह थीम विश्व स्तर पर स्थायी उपभोग की आवश्यकता और उपभोक्ता के अधिकारों एवं संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डालती है।
आए दिन उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी और ठगी जैसी समस्याएं आती रहती हैं। लोग मिलावटी वस्तुओं, कीमत से अधिक मूल्य, नकली सामान के चपेट में पड़ जाते हैं। इससे धन और समय की हानि तो होती ही है, स्वास्थ्य पर भी बुरा असर होने का खतरा बना रहता है। सरकार ग्राहकों को ऐसी वस्तुओं से बचाने तथा सुरक्षा प्रदान करने हेतु कई कार्यक्रम और कानून बनाए हैं। “जागो ग्राहक जागो” उपभोक्ताओं को जागृत करने के लिए ही बनाया गया एक कार्यक्रम है। उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। क्या है उपभोक्ताओं के अधिकार?
उपभोक्ताओं को जो अधिकार प्रदान किए गए हैं वह इस प्रकार हैं 1. सुरक्षा के अधिकार 2. सूचना का अधिकार 3. चुनने का अधिकार 4. सुने जाने का अधिकार 5. निवारण का अधिकार एवं उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार। लेकिन दुखद बात यह है कि आज भी ज्यादातर लोगों को उपभोक्ता अधिकार के बारे में जानकारी नहीं है। यही कारण है कि ठग और बेईमान प्रवृत्ति के विक्रेताओं की दाल गल जाती है। कई बार खराब वस्तुओं की शिकायत विक्रेताओं से करने के बाद भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। उपभोक्ताओं को संरक्षण और सुरक्षा मिले इसके लिए जरूरी है कि वह अपने अधिकारों एवं उपभोक्ता संरक्षण के नियम कानून को जाने।
भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत कोई भी ग्राहक जो ठगी या धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायत कर सकते हैं। उपभोक्ता फोरम की स्थापना उपभोक्ता के विवादों को निपटाने हेतु एक राष्ट्रीय आयोग के तहत दिल्ली में की गई थी। यह ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करती है। उपभोक्ता संरक्षण कानून एक प्रकार का सरकारी नियंत्रण है जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है।
अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि ग्राहक किस प्रकार के ठगी या धोखाधड़ी के लिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं? तो स्पष्ट कर दें कि किसी व्यापारी द्वारा अनुचित या प्रतिबंधात्मक पद्धति का प्रयोग कर आप को हानि पहुंचाने की कोशिश की है या खरीदे गए सामान में कोई खराबी है या किराए पर ली गई चीजों में खराबी हो या उपभोग की गई सेवाओं में कोई कमी पाई गई हो या विक्रेता प्रदर्शित मूल्य से अधिक मूल्य वसूल किया हो या यदि किसी कानून का उल्लंघन करते हुए जीवन तथा सुरक्षा के जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता को बेचा जा रहा है तो आप बिल्कुल उनके खिलाफ उपभोक्ता फोरम में अपना शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। धोखाधड़ी गलत सामान बेचने या गलत सर्विस देने के मामले में दुकानदार, मैन्युफैक्चरर्स, डीलर, सर्विस प्रोवाइडर आदि के खिलाफ शिकायत दर्ज कराया जा सकता हैं। किसी दुकानदार द्वारा धोखाधड़ी के मामले में उपभोक्ता कितना प्रभावित हुआ है इस बात को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा तीन कंजूमर कोर्ट बनाए गए हैं 1. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग 2. राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग 3. जिला उपभोक्ता फोरम
जिला उपभोक्ता फोरम में 20 लाख तक की मुआवजे का दावा पेश किया जा सकता है।इस फोरम में केस दर्ज करने की फीस डिमांड ड्राफ्ट द्वारा भर सकते हैं। 1 लाख से 20 लाख तक मुआवजे के लिए फीस की रकम ₹100 से ₹500 तक है।
हाल के कुछ 1 वर्षों में ऑनलाइन शॉपिंग के चलन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ज्यादातर महिलाओं में ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज बढ़ा है। ऑनलाइन डीलर और विक्रेताओं की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे में कई मामलों में बड़े पैमाने पर ठगी और धोखाधड़ी की शिकायत देखने को मिल रही थी। अतः केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में ऑनलाइन शॉपिंग में बढ़ते धोखाधड़ी पर नकेल कसने के लिए तथा उपभोक्ताओं को संरक्षण प्रदान करने हेतु कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत ई-कॉमर्स नियम लागू कर दिया गया है। इसमें ऑनलाइन रिटेलर्स को रिटर्न, रिफंड प्रोसेस का आसान बनाया गया है। यदि ग्राहक को बेची गई वस्तु की क्वालिटी खराब निकली तो वह निर्धारित तिथि के अनुसार उसे रिफंड कर सकता है। ई-कॉमर्स रूल्स उन सभी इ रिटेलर्स पर लागू होंगे जो भारतीय उपभोक्ताओं को उत्पाद और सेवा दे रहे हैं चाहे उनका रजिस्टर्ड ऑफिस भारत में हो या विदेश में। अमेजॉन, Flipkart जैसी ई-कॉमर्स साइट्स को उपभोक्ता को हर प्रकार की जानकारी उपलब्ध करानी होगी। प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग कहां हुई, एक्सपायरी डेट, पेमेंट गेटवे की सेफ्टी और कस्टमर केयर नंबर, रिटर्न की प्रोसेस, रिफंड प्रोसेस और विक्रेता को रेटिंग आदि को जानकारी उपभोक्ताओं को देनी होगी। इस प्रकार अब यदि ग्राहकों के साथ किसी प्रकार की हेरा फेरी होती हैं तो ई कंपनियां जिम्मेदार होंगी।
अतः हम कह सकते हैं कि उपभोक्ताओं का संरक्षण उनके अधिकारों में ही निहित है। अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और सुरक्षित रहें।