पटना जिला ब्यूरो।शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश को पटना के डीएम ने चुनौती दी है और डीएम के धारा 144 के तहत स्कूल बंद करने के अधिकार को सिर्फ उच्च न्यायालय द्वारा ही समीक्षा की जा सकती है,शिक्षा विभाग के अधिकारी को ये अधिकार नहीं है.अगर डीएम के आदेश का किसी के द्वारा उल्लंघन किया जाता है तो उसे छह माह का जेल और आर्थिक जुर्माने का दंड भुगतना पड़ सकता है.
केके पाठक और पटना डीएम के आदेश के विरोधाभास की वजह से जिले के डीईओ और स्कूल एवं कोचिंग के संचालकों के लिए दुविधा की स्थिति बन गयी है.अब देखना है कि धरातल पर किसका आदेश लागू होता है.डीएम के आदेश के मुताबिक ठंढ की वजह से आज 23 जनवरी को एक से आठवीं तक की कक्षा का संचालन स्थगित रहता है या अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा निकाले गये आदेश पर स्कूल में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में कक्षा का संचालन होता है.
बताते चले कि ठंढ,गर्मी,बरसात या अन्य आपदा की स्थिति में डीएम को स्कूल बंद करने या समय में बदलाव को लेकर आदेश जारी करते रहते हैं.ये काम सालों से होता आया है,पर लंबी छुट्टी के बाद काम पर लौटे अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने डीएम द्वारा धारा 144 के तहत स्कूल बंद करने के आदेश को मनमानी कार्रवाई बताया था और स्कूल बंद करने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेने को कहा था,पर पटना के डीएम चन्द्रशेखर सिंह इस आदेश को नहीं मानते हुए मौसम विभाग की पुर्वानुमान के आधार पर पहली से आठवीं तक के क्लास की पढाई स्थगित रखने का आदेश जारी किया था.
पटना डीएम के इस आदेश से केके पाठक नाराज हो गये और उनक निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने पटना के डीईओ को पत्र लिखकर डीएम के आदेश को खत्म करने का आदेश दिया था.माध्यमिक शिक्षा निदेशक के आदेश के हवाले से पटना डीईओ ने सभी स्कूलों को 23 जनवरी से खोलने का निर्देश जारी कर दिया.
शिक्षा विभाग के इस आदेश से पटना के डीएम नाराज होगये और उन्हौने कहा कि कि डीएम के आदेश को पटना हाईकोर्ट ही समीक्षा कर सकती है.ऐसे में अगर उनके 144 के तहत दिए गये आदेश का उल्लंघन होता है तो संबंधित अधिकारी छह माह की सजा या आर्थिक जर्माना जैसे दंड की सजा पा सकते हैं.