पटना जिला ब्यूरो, बाढ़। सरकार के द्वारा बच्चों की शिक्षा को सरल और मनोरंजक बनाने के लिए चहक योजना की शुरुआत की गई है, जिसके तहत बच्चों को सरल, सहज एवं मनोरंजक तरीके से शिक्षा देने के लिए 5 दिवसीय ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसे स्कूल रेडिनेस कार्यक्रम नाम दिया गया है। चहक कार्यक्रम का उद्देश्य अभिभावकों का उन्मुखीकरण करना और उन्हें अपने विद्यालय में अपने बच्चों का दाखिला करवाने के लिए प्रेरित करना है। मनोरंजक और सरल तरीके से बच्चों को सिखाने के लिए मनोरंजक तरीके से खेल-खेल में बच्चों को सिखाने के लिए हर संभव सामग्री उपलब्ध कराई गई है। चहक का मतलब चिल्ड्रन हैविंग हैप्पीनेस इन एंबिएंस एंड अक्वायरिंग नॉलेज। इस प्रशिक्षण के तहत 140 प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार करना है।

परंतु विडंबना ये है कि पंडारक प्रखंड के रैली में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षकों के लिए प्रखंड स्तर पर जो सामग्री उपलब्ध कराई जानी चाहिए थी, वो बिलकुल नहीं है। जाहिर सी बात है कि सरकार के द्वारा चहक प्रशिक्षण के लिए योजना राशि का प्रावधान कराया गया है तथा प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण के दौरान उन सामग्रियों को उपलब्ध कराना था। नाम नहीं छापे जाने के आधार पर शिक्षकों ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए प्रोजेक्टर, लैपटॉप, स्पीकर एवं साउंड सिस्टम, ऑडियो-वीडियो के गीत, चार्ट पेपर, स्केच पेन, ए4 कागज सहित कुल 18 प्रकार की सामग्रियों को उपलब्ध कराना है, जो कि रैली प्रशिक्षण केंद्र पर उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिससे प्रशिक्षण लेने में शिक्षकों को दिक्कतें आ रही है। इसे शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार के रूप में देखा जा सकता है। अगर शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार हो रहा है, तो यकीन मानिए चहक कार्यक्रम का जो उद्देश्य है, उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता। बिहार की नई सरकार शिक्षा में भ्रष्टाचार को दूर कर सकने में सक्षम होगी या नहीं… यह देखने वाली बात होगी।

By LNB-9

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