“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||“
हिन्दू धर्म में देवों के देव महादेव का महापर्व महाशिवरात्रि त्योहार का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु चाहे स्त्री हो या पुरुष सभी गंगा नदी में स्नान कर भगवान शंकर की पूजा अर्चना करते हैं तथा दिन भर उपवास रख कर अपने आप को भोलेनाथ के प्रति समर्पित रखते हैं। महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। आज महाशिवरात्रि है जिसको लेकर बाढ़ के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। भक्तगण गंगा नदी में पवित्र स्नान कर मंदिर में पूजा अर्चना की। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का धरती पर प्रकटीकरण हुआ था। कुछ लोगों की मान्यता यह भी है कि भगवान शिव का विवाह इसी तिथि को हुआ था इसलिए भक्तों के द्वारा इस तिथि को विवाह उत्सव की तरह भी मनाया जाता है। एक तरह से कहा जाए तो शिव पार्वती के विवाह का विवाहोत्सव के रूप में मनाते हैं। बाढ़ के प्रसिद्ध शिवमंदिर बाबा उमानाथ के पुजारी ओम नारायण तिवारी ने बताया कि भगवान शिव की पूजा रात्रि के निशिता काल में की जाती है तथा चारों पहर पूजा होती है।और तरह तरह के व्यंजन भोग में लगाये जाते हैं साथ ही विशेष प्रकार से जलाभिषेक विधि विधान पूर्वक किया जाता है। इस दिन जो भक्त भगवान शिव का व्रत रखते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस अवसर पर कई श्रद्धालु भक्त भगवान शिव की दरबार में समर्पित भाव से उपस्थित हो कर इस दृश्य का दर्शन करते हैं जो कि काफी मनोरम, आध्यात्मिक और मन को सुकून पहुंचाने वाला होता है। वैसे तो ज्यादातर भक्तगण प्रातः काल पूजा करते हैं लेकिन महाशिवरात्रि पर रात्रि की चार पहर की पूजा सबसे अधिक फलदायी होती है।लोग दिन में व्रत उपवास रख कर मंत्र जाप और रात्रि जागरण करते हैं। इस दिन मंदिर में अखंड कीर्तन भी किया जाता है। बाबा उमानाथ के मंदिर में दूर-दराज के इलाकों से श्रद्धालु हज़ारों की संख्या में पूजा अर्चना के लिए यहां पहुंचते हैं। महिला श्रद्धालु डॉ विद्या ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन महिलाएं खास कर शिव की आराधना करते हैं ताकि उन्हें शिव के जैसा वर की प्राप्ति हो तथा पति की आयु लंबी हो । महिलाएं काफी संख्या में शिव के विवाह में सम्मिलित होती हैं।