बाढ़। दाल के कटोरा के रूप में प्रसिद्ध बाढ़ के टाल क्षेत्र के कई इलाके अभी भी पानी में डूबा है, जिससे किसान के खेतों में दलहन फसल की बोआई प्रभावित हो रही है। बेलछी प्रखंड के टाल क्षेत्र के हज़ारों एकड़ भूमि में अभी भी पानी जमा है, जिसकी निकासी की व्यवस्था अभी तक नही हो पाई है। इस कारण से किसानों में निराशा है। पिछले साल भी बाढ़ के पानी के कारण देर से फसलों की बोआई हुई थी और किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था। फतुहा से लेकर बाढ़-मोकामा-बड़हिया के टाल क्षेत्र का कुल रकवा 106200 हेक्टेयर भूमि में फैला है। अगर सरकार प्रस्तावित टाल क्षेत्र की योजना अनुरूप कार्य पूरा देती है, तो यहां के किसान पंजाब और हरियाणा के किसान के समान खुशहाल हो जाएंगे। लेकिन किसानों के समक्ष फिलहाल जलजमाव की गंभीर समस्या से निजात नही मिल पाया है। मोकामा, बड़हिया, बाढ़, फतुहा का टाल क्षेत्र की भूमि काफी उपजाऊ है। इसमें किसानों की माने तो बेहतरीन ढंग से दोफसला खेती की जा सकती है, लेकिन सरकार ने टाल विकास योजना की तैयारी तो की है, परंतु व्यवहारिक रूप नही दिया गया है। किसान कहते हैं कि 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर के बीच रबी फसल की बोआई की जाती थी, लेकिन खेतों के पानी नही निकलने के कारण 15 दिन से ज्यादा बीत चुके है। बोआई में देरी हो रही है। हो सकता है कि बोआई हो ही ना। इससे किसानों को दोहरा मार झेलना पड़ सकता है। एक तो बाढ़ के पानी से धान के फसल नष्ट होना और दूसरा पानी नही निकलने के कारण रबी फसल को बोआई पर ग्रहण लगना। किसानों का कहना है कि चुनाव के समय नेताओं द्वारा किसानों से टाल योजना लागू करने की बात और वादें तो किये जाते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही सारे के सारे वादे धरे के धरे रह जाते है। चाहे दहाड़ हो जाये या सुखाड़ हो जाये, किसानों की सुध लेने कोई नही आता। यदि सरकार चाहे तो किसानों की जलजमाव की समस्या का सदा के लिए निदान हो जाएगा। हालांकि बिहार सरकार के द्वारा टाल भूमि के विकास के लिए 4200 करोड़ रुपये की योजना बनाई गयी है, लेकिन धरातल पर उसे अभी तक कार्यान्वित नही किया गया है।