बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए यात्रा पर निकले हुए हैं, वही दिल्ली में बिहार बीजेपी कोर कमेटी की बैठक के बाद बिहार को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. करीब दो दशक बाद उसने बिहार में मुस्लिम समाज से आने वाले राज्यपाल को यहां की जिम्मेदारी दी है.ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी बिहार के प्रोग्रेसिव मुस्लिम समुदाय को अपने साथ लाना चाहती है यही वजह है कि मुस्लिम धर्म की कट्टरता के खिलाफ मुखर होकर बोलने वाले केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का नया राज्यपाल बनाया है जबकि बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को केरल भेज दिया है.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले आरिफ मोहम्मद खान मुस्लिम समुदाय से आने के बावजूद मुस्लिम धर्म के कथित कट्टरता के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं. वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कटोगे तो बटोगे जैसे नारा का भी समर्थन करते रहे हैं. यही वजह है कि भाजपा उन्हें आगे बढ़ा रही है और बिहार जैसे राज्य का राज्यपाल बनाया है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होना है.
बताते चलें कि बिहार में इससे पहले मुस्लिम समाज के एआर किदवई 1998 में राज्यपाल हुआ करते थे. करीब दो दशक बाद आरिफ मोहम्मद खान को मुस्लिम समुदाय से बिहार का राज्यपाल बनाया गया है. आरिफ मोहम्मद खान की राजनीति कांग्रेस और बसपा से होते हुए भाजपा तक आई है. मुस्लिम समुदाय से आने के बावजूद उन्होंने तीन तलाक जैसे मुद्दे पर भाजपा के द्वारा संसद में बिल ले जाने का पुरजोर समर्थन किया था और इस मुस्लिम समुदाय की बेहतरी के लिए जरूरी बताया था. इससे पहले शाहबानो केस में भी आरिफ मोहम्मद खान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था और राजीव गांधी सरकार द्वारा संसद से कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के खिलाफ उन्होंने नाराजगी जताई थी और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को खत्म करने के हिमायती हैं.
स्पष्टवादी सोच और मुखर होकर बोलने की वजह से बीजेपी ने आरिफ मोहम्मद खान को 2019 में केरल का राज्यपाल नियुक्त किया था. कई मुद्दों पर उनकी केरल के मुख्यमंत्री के साथ विवाद भी हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था, पर धार्मिक मामले में उनकी स्पष्टवादी टिप्पणी भाजपा की राजनीति को सूट करती है यही वजह है कि अगले साल बिहार विधानसभा का चुनाव होना है और उससे पहले बीजेपी ने आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल बनाकर यहां की प्रोग्रेसिव मुस्लिम समाज को एक मैसेज देने की कोशिश की है. आरिफ मोहम्मद खान के राज्यपाल बनाए जाने से बिहार की राजनीति में भी बदलाव के संकेत मिल सकते हैं राजद और जदयू की राजनीति पर भी इसका असर पड़ सकता है, अब देखना है कि आरिफ मोहम्मद खान के बिहार आने पर राजद और जेडीयू समेत अन्य पार्टी के नेता किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं.