बाढ़ अनुमंडल से मात्र 13 किलोमीटर पूर्व पंडारक प्रखंड में स्थित पुण्यार्क के सूर्य मंदिर का विशेष महत्व है। हर साल यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं एवं भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना कर आरोग्य होने का वरदान मांगते है। छठ पूजा के अवसर पर सूर्य मंदिर की सजावट एवं छटा देखते ही बनती है। इस अवसर पर छठव्रती के साथ-साथ कई श्रद्धालु भक्त भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करते हैं एवं मन्नते मांगते हैं। इस अवसर पर कई प्रकार के भव्य कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। सूर्य मंदिर कमिटी के अध्यक्ष बब्बन शर्मा ने बताया कि यह मंदिर अति प्राचीन एवं महत्वपूर्ण है। इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शाम्ब ने कराया था। उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शाम्ब ने नारद मुनि का निरादर किया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने क्रोधित होकर अपने पुत्र शाम्ब को कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया था। उसके बाद कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए शाम्ब ने सूर्य की 12 साल तक घोर तपस्या की थी। भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्त किया। उसके बाद शाम्ब ने भारत में 3 स्थानों पर सूर्य मंदिर की स्थापना की। एक मंदिर की स्थापना उन्होंने मुल्तान में की, जो बटवारे के बाद अब पाकिस्तान में हैं। दूसरे मंदिर का निर्माण उन्होंने उड़ीसा के कोणार्क में किया जो चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित है, और तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण मंदिर पुण्यार्क सूर्य मंदिर की स्थापना बिहार राज्य के पंडारक में की। पुण्यार्क स्थित सूर्य मंदिर एकमात्र सूर्य मंदिर है जो गंगा के तट पर स्थित है। इसकी चर्चा बृहस्पति संहिता और शाम्ब पुराण में भी मिलती है। अलबरूनी ने भी अपने यात्रा वृतांत में इस मंदिर का जिक्र किया है, जो सूर्य मंदिर की प्रमाणिकता को पुष्ट करती है। जगत के प्राणी मात्र के जीवन का एकमात्र स्रोत भगवान भास्कर को ही माना जाता है। मंदिर के मुख्य पुजारी शशि शेखर पाठक ने बताया कि बहुत से कुष्ठ रोगी यहां आते है और यहां स्थित शिला पर चंदन घिस कर लगाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। यहां पर कई बड़े-बड़े लोग आते रहते हैं। कार्तिक महीने में सूर्य मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला बढ़ जाता है। छठ पूजा के अवसर पर भक्त विशेष रूप से यहां आकर पूजा-अर्चना करते है और मन्नतें मांगते है, और उनकी मन्नतें पूरी भी होती है। अध्यक्ष बब्बन शर्मा ने बताया कि इस बार भी छठ पूजा के अवसर पर उत्सव मनाया जा रहा है। 9 नवंबर को डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का कार्यक्रम है तथा 10 तारीख को पहली अर्घ्य के दिन भव्य भजन का कार्यक्रम होगा। इसके लिए प्रसिद्ध भजन गायक स्वामी रविशंकर दास जी को बुलाया गया है। सूर्य मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर शाक द्वीप से बुलाये गए पंडितों के द्वारा ही पूजा कराई जाती है। शाक द्वीप के पंडितों को भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब के द्वारा बुलाया गया था। तब से भारत के सभी सूर्य मंदिर में शाकद्वीपी ब्राह्मण ही पूजा करवाते है। शाकद्वीपी ब्राह्मण में एक खास बात यह है कि ये कुशल वैद्य भी होते है।