बाढ़। ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक नगरी पुण्यार्क के रंगमंच के क्षेत्र में अग्रणी संस्था पुण्यार्क कला निकेतन,पंडारक पटना द्वारा तीन दिवसीय पुण्यार्क महोत्सव २०२१ के पुण्यार्क नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज , संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित नाटक नूरजहां का मंचन किया गया।
ख्यातिलब्ध निर्देशक विजय आनंद के निर्देशन में डॉ चतुर्भुज लिखित नूरजहां नाटक के माध्यम से नारी सशक्तिकरण का संदेश पुण्यार्क कला निकेतन, पंडारक पटना के कलाकारों ने बहुत ही आकर्षक और मार्मिक तरीके से दिया जिससे ग्रामीण दशकों के साथ आसपास के गांवों से भी पहुंचे दर्शकों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
दुर्गा पूजा समिति रंगमंच, पंडारक पटना के रंगमंच पर पुण्यार्क कला निकेतन, पंडारक के कलाकारों ने भव्य मंचन कर ॾॉ चतुर्भुज लिखित और विजय आनंद के कुशल निर्देशित नाटक नूरजहां में दिखाया कि नूरजहां सुन्दर होने के साथ-साथ सत्ता के विभिन्न कलाओं में निपुण थी। कथानक के अनुसार महरुम बादशाह अकबर का बेटा शहंशाह जहांगीर अपने सभी अहम् फैसले नूरजहां से पूछ कर लेते थे क्योंकि वह सल्तनेमुगलिया के बादशाह जहांगीर के दिलो-दिमाग पर भी हुकूमत करती थी। नूरजहां की सियासत में यही दख़लंदाज़ी के नियंत्रण को प्रभावहीन करने के लिए शाहजादा शाहज़हां ( खुर्रम ) ने विद्रोह का रास्ता अख्तियार किया जिसे नूरजहां की कूटनीतिक चालों , शाहजादा परवेज़ और सिपहसालार महावत ख़ां के माध्यम से सफलतापूर्वक कुचलवा दिया। नूरजहां ने खुर्रम के दो लड़के दारा शिकोह और औरंगजेब को जामिन के रूप में रख कर शाहज़हां के विद्रोही तेवर को दबा दिया। हिन्दुस्तान में अंग्रेजों के कदम की सुगबुगाहट के बीच घर में चल रही साजिशों, शाहजादा परवेज़ और सिपहसालार महावत की नजदीकियां को अपने भाई वज़ीर आसफ खां को हुक्मनामे के जरिए मलेका नूरजहां खुर्रम से युद्ध के दौरान सिपहसालार महावत ख़ां के द्वारा लूटे गए धन और हाथियों का हिसाब कैफियत के साथ देने के लिए कहती है परन्तु महावत ख़ां ने अपने सेनापति संग्राम सिंह के साथ मिलकर झेलम नदी के किनारे लगाए गए ख़ेमों को घेर लेता है जिसमें बादशाह जहांगीर, नूरजहां और उसका दामाद शहरयार जो जहांगीर के बेटे भी थे जिसे नूरजहां हिन्दुस्तान का बादशाह बनाने का ख्वाब देख रही थी सहित गिने-चुने सिपाहियों के साथ बंदी बना लिया। कूटनीतिक चालों द्वारा बादशाह जहांगीर और सियासती समझ रखने वाली सम्राज्ञी नूरजहां ने अपनी बुद्धिमत्ता और विवेक से बड़ी खूबसूरती से महावत ख़ां के प्रभाव से मुक्त कर लेती है।