पटना जिला ब्यूरो, LNB-9। बाढ़ अनुमंडल के टाल में लगे फसलों में कीड़ों का व्यापक प्रकोप होने से स्थानीय किसान काफी चिंतित एवं परेशान है। कीड़े फसल की जड़ों को काटकर उसे बर्बाद कर रहे हैं, जिससे बीघा का बीघा खेती इसके चपेट में आ गया है। बता दें कि इस वक्त बाढ़ के टाल क्षेत्रों में दलहन की बड़ी पैमाने पर खेती की जाती है, जिसमें मसूर, खेसारी आदि प्रमुख फसलें हैं। स्थानीय किसान बताते हैं कि किसान मेहनत करके कोड़ाई एवं खरपतवार के चुनाई के बाद मसूर सहित अन्य रबी फसल के बीजों की बोआई की गई। पौधे निकलने के बाद उसमे कीड़े लगने शुरू हो गए, जिससे पौधे खड़े खड़े सुख जा रहे हैं और इस तरह से जमीन में लगे फसल बर्बाद हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस फसल के प्लॉट में कीटनाशक दवाइयां दी जाती है, वे मरते नहीं है और वहां से दूसरे प्लॉट में जाकर उन फसलों को बर्बाद करने लग जाते हैं। फिर जब उस प्लॉट में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है, तो कीड़े किसी अन्य प्लॉट में चले जाते है। इस प्रकार कीड़ों पर कीटनाशक दवाइयों का कोई असर नहीं पड़ रहा है। इस प्रकार किसान प्रभावित हो रहे हैं तथा खेतों में दोबारा बोआई करनी पड़ रही है। धीरे धीरे कीड़ों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। ये कीड़े सबसे ज्यादा मसूर और खेसारी के फसलों में लग रहे हैं। इस बाबत अभी तक प्रशासन की ओर से किसी प्रकार का मदद नहीं मिल पाया है।
हालांकि कुछ दिन पहले कृषि विज्ञान केंद्र एवं दलहन अनुसंधान के वैज्ञानिकों द्वारा टाल क्षेत्र में लगे फसलों का निरीक्षण किया गया था, निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि टाल क्षेत्र में मसूर, खेसारी एवं मटर की अगात बोआई वाली खेतों में कजरा एवं स्पोडोप्टेरा नामक प्रजातियों की कीट का व्यापक प्रकोप है। किसान अपनी जानकारी एवं स्थानीय कीटनाशक विक्रेताओं की अनुशंसा के आधार पर कई प्रकार की कीटनाशक जैसे इमिडाक्लोप्रीड, क्लोरपायरीफॉस, एरिना एवं अन्य तरह के स्प्रे का प्रयोग कर रहे हैं, परंतु कीट की समस्या में कमी नहीं आ रही है। इस संबंध में वैज्ञानिकों द्वारा दलहन किसानों को इस समस्या से रोकथाम हेतु कई सुझाव भी दिए गए।

लेकिन सवाल ये है कि अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा जो सुझाव दिए गए हैं, वो सुझाव या प्रशिक्षण बहुत पहले किसानों को दे दिए जाते तो शायद किसानों को राहत मिलती। लेकिन जब फसलें बोई जा चुकी है, उसके बाद बोने के समय का सुझाव देना फिलहाल लाभकारी सिद्ध होता हुआ नही नजर आ रहा है। उन्होंने संक्रमित खेतों में तत्काल कीटों की रोकथाम हेतु कोराजेन 0.5 एमएल प्रतिलीटर पानी एवं स्टिकर के साथ सुबह या शाम के शाम के समय फसलों पर छिड़काव करने का सुझाव दिया है एवं 10 दिन पश्चात पुनः इस दवा का छिड़काव करने का सुझाव दिया है और कहा है कि इससे प्रकोप को कम किया जा सकता है। बहरहाल किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई है, और वे काफी परेशान है।।

By LNB-9

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