बाढ़। बिहार के कई स्कूलों में शैक्षणिक संस्थानों की व्यवस्था बदहाल स्थिति में है, जिसे देखने वाला कोई नही है। स्कूल प्रशासन मनमाने ढंग से सरकार के द्वारा आवंटित की गई राशि का दुरुपयोग कर रहें हैं। ऐसा ही वाक्या पंडारक प्रखंड के उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय बड्डोपुर तथा उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोंदी में देखने को मिला, जहां व्यवस्था के नाम पर सिर्फ भवन और स्कूल में पढ़ाई कर रहे बच्चे नजर आते हैं, परंतु बच्चों की सुरक्षा, पोशाक और पोषाहार तथा सुविधा का कोई ख्याल नही रखा जाता। बताते चले कि उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय, बड्डोपुर में न तो बिहार सरकार के द्वारा पोषाहार के लिए तैयार मेनू के हिसाब से खाना बनाया जाता है, न ही बच्चों को हरी सब्जियां दी जाती है।
MDM का है बुरा हाल
स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चें ने बताया कि सब्जी के नाम पर सिर्फ आलू की सब्जी खिलाई जाती है। हरी सब्ज़ी कभी नही दी जाती है। कहीं भोजन तैयार करने के लिए रसोइया को मिट्टी के चूल्हे पर स्कूल के एक कमरे में लकड़ी पर खाना बनाते देखा गया, जबकि दो-दो गैस सिलिंडर सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गये हैं। आखिर इन सब चीजों के लिए सरकार के द्वारा आवंटित राशि का क्या होता है, यह समझ से परे है। यही हाल उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोंदी का भी है। वहां के रसोइया ने बताया कि हमको जो मिलता है, उसी हिसाब से काम करते हैं।
मिट्टी के चूल्हे पर बनता है खाना!!!
स्कूल में परीक्षा चल रही है, लेकिन हैरत की बात है कि जो स्कूल के प्रभारी हैं, वह देर से पहुंच रहे है। कोंदी मध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मुरारी सिंह ने तो यहां तक कह दिया की गैस का कनेक्शन ही अभी तक नही हुआ है। जबकि सभी लोग जानते हैं कि बिना कनेक्शन के सिलिंडर उपलब्ध नही होता है। रसोई गैस पर खाना बनाने के बजाय इन स्कूलों में लकड़ी पर खाना बनाया जाता है, जिससे रसोइया के साथ-साथ पढ़ने वाले बच्चों को भी प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की व्यवस्था के लिए स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाए या फिर प्रखंड शिक्षा विकास पदाधिकारी को। इस प्रकार की लचक व्यवस्था में दोनों की सहभागिता से इनकार नही किया जा सकता।
औरों के हाथ में है विद्यालय की चाबी
बड्डोपुर स्कूल के दो कमरे स्थानीय लोगों के कब्जे में है, जहां वे अपना खेत की फसल और बिस्तर भी लगाकर रखे हुए थे। जब बड्डोपुर स्कूल के प्रभारी किरण कुमारी से पूछा गया, तो वह हक्का-बक्का रह गयी। यहां तक कि स्कूल के कमरों की चाबी उस स्थानीय व्यक्ति के पास रहती है, जो मनमाने ढंग से स्कूल के कमरों का उपयोग करते है। प्रभारी ने बताया कि शादी-विवाह के समय बारात ठहराने के लिए लोग कमरे का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इतने दिनों तक कमरे की चाबी स्कूल प्रशासन के बाहर के लोगों के हाथ में कैसे रही।
शौचालय का हाल बदतर!!
इसके साथ-साथ वहां के शौचालय और बाथरूम की स्थिति भी बहुत दयनीय है। सरकार के द्वारा बच्चों के लिए सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश तो की गई है लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि वह गंदगी और झाड़-जंगल से भरा पड़ा है। दो स्कूल के शौचालय में ताले भी लटके पाए गए। कुल मिलाकर कहा जाए तो स्कूल का बाथरूम और शौचालय उपयोग के लायक बिल्कुल भी नहीं है। सरकार के अंदर काम करने वाले शिक्षा के बड़े पदाधिकारियों को इस प्रकार की दुर्व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है, तभी बच्चे सुचारू रूप से स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।