पटना. बिहार के गांवों की सड़क बनाने को लेकर पटना हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने एक निर्माण कंपनी को ब्लैकलिस्ट किए जाने के खिलाफ दायर हुई रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण योजना को जनहित में नहीं रोका जा सकता. कोर्ट ने ग्रामीण कार्य विभाग के प्रधान सचिव को ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कंपनी की ब्लैकलिस्टिंग होने की वैधता पर बाद में सुनवाई होगी. इस बीच ग्रामीण सड़कों का कार्य प्रभावित नहीं होना चाहिए.
खंडपीठ ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क का निर्माण जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश दिया. अब इसपर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. बता दें कि याचिकाकर्ता कंपनी ने कोर्ट के सामने सड़क निर्माण पर अस्थायी रोक लगाने की गुहार लगाई थी.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान हुई थी, जिसमें प्रत्येक गांव, जिसकी आबादी 500 से अधिक है. साथ ही नॉर्थ ईस्ट और हिमालयी राज्यों में, जहां की आबादी ढाई सौ से अधिक है, वहां पर ग्रामीण सड़कों को बनवाने लक्ष्य रखा गया था. इसके तहत अभी तक 6.25 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण करवाया जा चुका है. साथ ही साथ लगभग 6000 पुलों का निर्माण किया जा चुका है.
मई 2013 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना-2 की शुरुआत हुई जिसके तहत 50,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़क बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिसमें से अभी तक 49000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया जा चुका है और 500 से अधिक पुलों का निर्माण किया जा चुका है. 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना तीन की शुरुआत की गई। इसमें 1,25,000 किलोमीटर की मौजूदा सड़कों के सुदृढ़ीकरण का काम किया जा रहा है. इस काम को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना पर काफी बल दिया गया.