महाशिवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म के त्योहारों में से एक माना जाता है। पुराणों में इस पर्व को पवित्र माना गया है। यूं तो साल में 12 शिवरात्रि होते हैं, जो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसे प्रदोष व्रत के रूप में भी जानते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि का व्रत साल में एक बार ही मनाया जाता है जो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार इस दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इस शुभ दिन को महाशिवरात्रि व्रत के नाम से जाना जाता है।
हालांकि कई पंथ जो हिन्दू धर्म से संबंधित पंथ है वो शिवरात्रि को शिवजी के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। ब्रह्माकुमारियों द्वारा महाशिवरात्रि को भगवान शिव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। अलग-अलग शास्त्रों में महाशिवरात्रि का बखान अपने-अपने ढंग से किया गया है। पुराणों के अनुसार शिवरात्री के दिन जो व्यक्ति भगवान शिव की उपासना करके विधि-विधान पूर्वक पूजा करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कब करनी है पूजा
इस बार महाशिवरात्री का पर्व 1 मार्च 2021, मंगलवार को है, जो सुबह 3:16 से शुरू होकर 2 मार्च 2022 को सुबह 1:00 बजे तक रहेगा। बताते चलें कि निशिता काल पूजा का सबसे शुभ मुहुर्त माना जाता है, जो 2 मार्च 2022 को 12:08 से (मध्यरात्रि) 12:58 तक यानि कुल मिलाकर 50 मिनट तक रहेगा |
महाशिवरात्री की पूजा 4 प्रहर में की जाती है। महाशिवरात्री की पहले प्रहर की पूजा शाम 6:21 में, दूसरे प्रहर की पूजा रात्रि 9:27 से 12:33, तीसरे प्रहर की पूजा रात्रि 12:33 से 2 मार्च सुबह 3:39 तक, चौथे 2 मार्च सुबह 3:39 से सुबह 6:45 तक होगी। महाशिवरात्रि व्रत का पारण का समय 2 मार्च 2022 को सुबह 6:45 मिनट पर होगा।
क्या है पूजा की विधि
(1) सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।
(2) इसके बाद लोटे में पानी या दूध भरकर बेलपत्र, फल, फूल, धतूरा, भांग आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
(3) शिवपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन रात्रि में जागरण का भी विशेष महत्व है।
(4) महाशिवरात्रि की पूजा निशित काल में व शुभ माना जाता है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार पूरे दिन कभी भी पूजा कर सकते हैं।
(5) महाशिवरात्रि के अगले दिन कुछ खाकर पारण करें। ध्यान रहे व्रत का पारण योग्य समय पर ना करने से पूर्ण फल नहीं मिलता है।
शिव पुराण में कहा गया है कि शिव शक्ति का संयोग ही परमात्मा है और परमात्मा रूपी भगवान शिव स्वयंभू हैं, जिनका अस्तित्व सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी कायम रहेगा । शिव को देवों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।