सामान्यतः सभी धर्मों में मानव धर्म के ही मूल तत्व छिपे होते हैं। मानव धर्म अलग नहीं बल्कि सभी धर्मों का योग है। प्रेम , दया , क्षमा, सहिष्णुता, सहयोग, सत्य आदि सभी तत्वों का समावेश लगभग सभी धर्मों का मूल होता है। लेकिन कोरोना काल ने यह सिद्ध कर दिया कि हम कितने धार्मिक हैं, कितने दयावान हैं, और कितने सहिष्णु हैं। हम अक्सर ही सभी प्रकार कि त्रुटियों के लिए केवल और केवल सरकार को दोषी ठहराते रहते है और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से बचने का कोशिश करते रहते हैं। इस कोरोना महामारी में जहां पूरी दुनिया त्राहिमाम कर रही है, लोग एक दूसरे कि मदद कर रहे हैं, कहीं लोगों के द्वारा लंगर चलाया जा रहा है, तो कुछ लोग मानवता के प्रति समर्पित एवं धर्म की रक्षा हेतु अपनी कार बेच कर उस पैसे से ऑक्सिजन सिलेन्डर खरीदकर बीमार लोगों को जीवन देने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी निकृष्ट अधर्मी संवेदनहीन मानव भी है जो नैतिकता और मानवता को भूल चुके हैं । कुछ लोग इतने लोभी और स्वार्थी हो चुके है कि वह अपने फायदे के लिए किसी का भी नुकसान कर सकता है। वर्तमान समय में ऐसे लोग इसी तरह के घृणित कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। अगर किसी के साथ बुरा हो रहा है और हमारे अंदर करुणा और सद्भावना नहीं उमड़ती हो तो यकीन मानिए हम इंसान कहलाने लायक बिल्कुल नहीं हैं । दुखद बात यह है कि कोरोना काल में भारत में कुछ लोगों की जिस प्रकार गंदी और घृणित हरकत सोशल मीडिया और मीडिया में वायरल हुई है उससे उन लोगों के धार्मिकता और मानवता की पोल खोल कर रख दी है। उनके अंदर छिपी राक्षसरूपी आत्मा का उद्भेदन हो गया है । मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म है। लेकिन कोरोना काल में कुछ लोगों द्वारा जिस प्रकार कोरोना संक्रमित के परिजनों के साथ बदसलूकी की गई है, वह अक्षम्य है। इतना ही नहीं कोरोना से मृत्यु को प्राप्त हुये शव तक को उन्होंने नहीं छोड़ा । कोरोना काल में लोगों में अमानवीयता का विकृत चेहरा प्रकट हुआ। ऐसी कई घटनाएं घटित हुई जो मानवता को शर्मसार करने वाली है। सबसे पहले हम बात करते हैं दवा कंपनियों एवं दवा दुकानदारों की जिसके द्वारा कोरोना के मरीजों से गला काट तरीके से दवा के मूल्य वसूले गए। उन्होंने जरा भी दया नहीं दिखाई कि महामारी के इस विकट परिस्थिति में लोगों को सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने अपनी धर्म और मानवता को ताक पर रखते हुए मनमाने ढंग से रुपए वसूल किए और मनुष्य के अंदर छद्म वेश में कालनेमि की भांति लोगों पर अत्याचार करते रहे और अभी भी यह जारी है। इन राक्षस प्रवृत्ति के लोगों ने आपदा में अवसर की तलाश कर ली है। कोरोना संक्रमित और उसके परिजनों के साथ इस तरह का व्यवहार दिल दहला देने वाला है। हॉस्पिटल जहां लोग अपनी जान बचाने के लिए धरती के भगवान के पास जाते हैं वहां बेड के नाम पर नाजायज पैसे वसूल किए गए। लोग डॉक्टरों को धरती का भगवान मानते हैं लेकिन कई निजी अस्पताल में इलाज के नाम पर लोगों को लूटने का काम किया गया। इस प्रकार के काले चेहरे वालों में और भी कई बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल थी। बिना नाम का उल्लेख किए मैं यह बताना चाहता हूं कि एक विधायक ने ऑक्सीजन सिलेंडर और बेड उपलब्ध कराने हेतु एक कोरोना संक्रमित मरीज से 20 लाख रुपए की मांग की थी। जनप्रतिनिधि का यह रूप देख कर मानवता शर्म से पानी पानी हो गई। एक जनप्रतिनिधि का कार्य अपनी जनता के सुख दुख में सहभागी बनना होता है। लेकिन यह भी आपदा में अवसर देखकर कुछ कमा लेना चाहते थे। इस तरह के कुकृत्य देखकर शर्म को भी शर्म आ जाए, पर विधायक को नहीं आया। मानवता का गला घोटने में एंबुलेंस वाहन मालिक भी बाज नहीं आए। उन्होंने भी मिलकर दोनों हाथों से मानवता का गला घोटा है। जहां करुणा और दया का भाव दिखाना चाहिए था वहां कठोर बनकर मनमाने ढंग से रुपए वसूल किए गए है। अपनी निर्लज्जता का घनघोर परिचय देते हुए एक अस्पताल के वार्ड बॉय द्वारा मरे हुए व्यक्ति के पॉकेट से रुपए निकालने का काम किया। यह तो सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया और वे पकड़े गए। इतना ही नहीं कोरोना के इस काल में कई जगह नकली दवाइयों और सुई का भी कारोबार चरम पर है इस तरह के व्यापार में लगे गुजरात से कुछ लोगों को पकड़ा गया है। गुजरात की यह कंपनी नकली रेमडेसीवीर सुई तक की बिक्री कर रहे हैं। एक तो महामारी और ऊपर से लोगों के जीवन से खिलवाड़ करना अधर्म से भी ज्यादा अधर्म है।
कुछ लोग अपने व्यक्तिगत जीवन में समाज सेवा और धर्मपरायण होने का चोंगा पहने रहते हैं लेकिन जब लोगों के साथ समय प्रतिकूल होता है और जब उसे मदद और सहयोग की जरूरत होती है तो ऐसे लोग उसकी मजबूरी में फायदा तलाशने की कोशिश करने लगते हैं और अपनी असलियत लोगों को बता जाते हैं। जब कोरोना काल में इस तरह के घृणित कार्य चल रहे हो तो प्रशासन तक भी खबर जरूर पहुंची होगी। क्योंकि कोरोना संक्रमितों में बुद्धिजीवी भी हैं जिन्होंने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है लेकिन प्रशासन भी कार्रवाई से बचती रही, अनदेखी करती रही और लोग लुटते रहे । पुलिस प्रशासन ने भी अपनी मानवता धर्म और कर्तव्य का परिपालन सही से नहीं किया। लोगों के साथ जब ठगी, धोखाधड़ी एवं अत्याचार होता है तो न्याय के लिए प्रशासन का सहारा लेते हैं, लेकिन कई जगहों के बारे में देखा यह गया कि महिलाएं हॉस्पिटल से अपने पति के शव को लेने के लिए गिड़गिड़ा रही थी और अस्पताल प्रबंधन उसके शव को देने में बेरूखी से पेश आ रहा था फिर भी प्रशासन ने उसकी मदद नहीं की। इससे पुलिस के ड्यूटी के कर्तव्य ईमानदारी पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। लोग लुटते रहे प्रशासन देखती रही। यह भारत की परंपरा और संस्कृति के बिलकुल खिलाफ है। हम कह सकते हैं की बदहाल व्यव्यस्था की भेंट चढ़ गई बहुत सारी जिंदगियां।मानव के जीवन से खिलवाड़ करने वालों को चिन्हित किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ हत्या या हत्या का प्रयास किए जाने का मुकदमा चलना चाहिए ताकि लोगों को सबक मिले। अन्यथा जिस प्रकार मानवता और नैतिकता के मूल्यों को शूली पर चढ़ाया जा रहा है उससे हमारे देश की अपनी पारंपरिक प्रतिष्ठा दाँव पे लग जायेगी।