बाढ़। “राम को चाहने वाले राम के आचरण को आत्मसात करें”, यह बातें संगीतमय रामकथा के समापन पर संत जयराम जी महाराज ने कही। बाढ़ अनुमंडल के अथमलगोला स्थित बाबू मोहन सिंह के टोला में संगीतमय रामकथा का भव्य समापन किया गया। संगीतमय रामकथा का आयोजन 3 दिन पहले किया गया था। सैंकड़ों श्रोताओं की भव्य उपस्थिति में मधुर स्वर के गायक और रामकथा वाचक लोकप्रिय वक़्ता संत जयराम जी महाराज ने कहा कि राम हमारे आदर्श केवल पुस्तकों में ही नही, बल्कि हमारे आचरण में भी उतरें। भगवान राम ने जीवन से संबंधित जो आचरण किया था, उस आचरण को स्वयं अमल में लाने का संकल्प लें। सही मायने में तभी हम राम के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएंगे। राम-विवाह की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि राम विवाह एक उत्सव नही, बल्कि महोत्सव था। जिस उत्सव में व्यक्ति, प्रकृति एवं सृष्टि का रचयिता तीनों का मिलन हो जाता है, वो महोत्सव बन जाता है। जनकपुर में राम और सीता का मिलन मंगलकारी मिलन माना जाता है। इस मिलन के बाद धरती पर से कई दुराचारियों एवं राक्षसों का अंत हो गया। कथा में महाराज के द्वारा लोकभाजनों तथा पारंपरिक संस्कार गीतों का मधुर स्वर में प्रस्तुति श्रोताओं के भाव-विभोर कर दिया। उनके द्वारा पारंपरिक गीत-
“आजु अवध नगरिया निहाल सखिया।
चारो दूल्हा में बड़का कमाल सखिया॥”
एवं “ए पहुना रवरा मिथले में रहु ना”
से पारंपरिक गीत सुनकर लोग आत्म-विभोर हो गए।
करुणानिधान सेवा ट्रस्ट की ओर से महाराज श्री ने बहुत-बहुत मंगल कामना और आशीर्वाद प्रदान किया तथा नवयुवकों की ऊर्जावान टीम के सदस्य आनंद कुमार सिंह अभिमन्यु कुमार सिंह विकी, मोनू, शुभम, मंगल, राजू, किटी, मीकू, नीरज तथा हरे कृष्ण का सम्मान मंगल पट्टिका प्रदान कर आशीर्वाद दिया। आयोजन समिति के द्वारा भी अंगवस्त्र प्रदान कर छोटू कुमार, राहुल कुमार, दयानंद कुमार, संजीत कुमार और मनीष कुमार को सम्मानित किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एस.बी.आर. कॉलेज बाढ़ के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर जितेंद्र कुमार, व्यवस्थापक सीताराम सिंह तथा करुणानिधान सेवा ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष घनश्याम कुमार का भी सम्मान किया गया। व्यास सुधीर कुमार ने स्वागत भाषण किया जबकि आभार ज्ञापन आयोजन समिति के सदस्य हरे कृष्ण ने किया।