बाढ़। उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित उमानाथ घाट से सटे उत्तर की ओर मैं स्थित बाढ़ के शमशान घाट की स्थिति दिन प्रतिदिन और बुरी होती जा रही है। कई बार बाढ़ के जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस बात का भरोसा दिलाया गया कि जल्द से जल्द वहां पर विद्युत संचालित शवदाह गृह का निर्माण कराया जाएगा। लेकिन, अभी तक यहां की जनता विद्युत संचालित शवदाह गृह बनने का वाट जोह रही है। विदित हो कि बाढ़ के शमशान घाट पर दूर-दूर से लोग शवदाह करने के लिए पहुँचते है। लंबे अरसे से यहां लाशों को लकड़ी का इस्तेमाल करके जलाया जा रहा है। जिससे निकलने वाला धुआं वातावरण को प्रदूषित कर रहा है वहीं आसपास के लोग भी लाश जलने के गंध से परेशान रहते हैं। कई बार यहां की स्थानीय जनता के द्वारा श्मशान घाट पर विद्युत संचालित शवदाह गृह की मांग की गई है। स्थानीय प्रतिनिधि बाढ़ के विधायक ज्ञानेंद्र कुमार ज्ञानू जीने कई बार जनता को यह भरोसा दिलाए हैं कि यहां पर जल्द से जल्द विद्युत संचालित शवदाह गृह का निर्माण कराया जाएगा परंतु अभी तक यह ठंडे बस्ते में है। यहां के लोग अभी भी परंपरागत तरीके से लाशों को जलाने का काम कर रहे हैं। उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित श्मशान घाट का एक अपना अलग महत्व है। ज्यादा से ज्यादा लोगों की चाह होती है कि वह मृतक परिजनों का संस्कार उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर करे। यही कारण है कि यहां लाशों को जलाने वाले की भीड़ बनी रहती है। बाढ़ अनुमंडल के सीमावर्ती गांवों एवं शहरों से अपने परिजनों मृतक परिजनों का अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं। लकड़ी से लाशों को जलाए जाने के कारण अब तेजी से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। जरूरत है कि जल्द से जल्द यहां पर विद्युत शवदाह गृह के निर्माण की दिशा में पहल हो।