बाढ़। 23 अक्टूबर बाढ़ अनुमंडल के चर्चित संस्कार इंटरनेशनल स्कूल अथमलगोला के परिसर में एन एस कॉलेज बाढ़ के पूर्व प्राचार्य तथा राष्ट्र स्तर के ख्याति प्राप्त ।हिंदी साहित्य के विद्वान प्रोफेसर सूरज प्रसाद सिंह जी की स्मृति में एक पुस्तकालय तथावाचनालय का उद्घाटन आज समारोह पूर्वक आयोजित हुआ इसका उद्घाटन करते रामचरितमानस के मर्मज्ञ तथा राष्ट्र प्रसिद्ध राम कथा प्रवचन कार संत जय राम जी महाराज ने कहा की स्वर्गीय सूरज प्रसाद सिंह व्यक्ति नहीं विचार थे। उनकी अमर कीर्ति एन एस कॉलेज बाढ आज भी ज्ञान की रोशनी फैला रहा है। उनके नाम से स्थापित यह पुस्तकालय भी विद्यार्थियों एवं समाज के लोगों का ज्ञान बढ़ाएगा। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष राणा उदय कुमार सिंह मुन्ना ने कहा की प्राचार्य सूरज प्रसाद सिंह की अमर कीर्ति एन एस कॉलेज बाढ़ मेरे जैसे लाखों विद्यार्थियों को ज्ञानदान देकर बाढ़ ही नहीं वरन पूरे बिहार के शिक्षा जगत में क्रांति पैदा किया है। वे एक प्राचार्य ही नहीं साहित्यकार ही नहीं बल्कि कमजोर विद्यार्थियों के गरीब और लाचार विद्यार्थियों के मसीहा थे। वे एक ऐसे महापुरुष थे जिनके लिए कुछ भी कहना और करना बहुत छोटी बात है। सत्येंद्र प्रसाद सिंह पूर्व प्राचार्य जगन्नाथन स्कूल बाढ़ ने कहा की सूरज बाबू एन एस कॉलेज के साथ-साथ जगन्नाथन स्कूल के स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। वे अपने समय के बाढ़ के ही नहीं वरन पूरे बिहार के एक चर्चित हस्ताक्षर थे। यह पुस्तकालय उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। विद्यालय के संरक्षक तथा पुस्तकालय के संचालक प्रोफ़ेसर साधु शरण सिंह सुमन ने कहा की सूरज बाबू मुक्त हस्त से विद्यादान अर्थ दान तथा समय दान किया। वे एक कला मर्मज्ञ संगीत विधा के प्रति समर्पित साहित्यकार थे लेखक थे और बहुत ही प्रभावशाली वक्ता थे। वैचारिक रूप से सूरज बाबू विस्तृत और समता बोधक आभा मंडल के स्वामी थे। उन्होंने हर तरह के वाद से ऊपर उठकर मानवतावाद के लिए कार्य किया। सूरज बाबू की अक्षय कीर्ति एन एस कॉलेज बाढ़ तो है ही अनुमंडल की की अनेक संस्थाएं भी हैं साथ ही वे हजारों लाखों विद्यार्थी हैं जिनकी जिंदगी सूरज बाबू की कृपा से सफलता की ऊंचाई को प्राप्त की। प्राचार्य सूरज प्रसाद सिंह को किसी भी रूप में याद करना शिक्षा जगत के उस सूर्य को याद करना है जिन्होंने इस क्षेत्र में ज्ञान की रोशनी बिखेर दी। संस्कार इंटरनेशनल स्कूल में उनके नाम से यह पुस्तकालय आज से कार्य करना प्रारंभ किया है इसमें बाल उपयोगी साहित्य तो रहेंगे ही अध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के विकास से संबंधित पुस्तकें भी रहेंगी गरीब विद्यार्थियों को इस पुस्तकालय के माध्यम से निशुल्क कोर्स की किताब भी प्रदान करने की योजना है। आज मुझे यह कहते बहुत संतोष हो रहा है कि यह एक सपना था जिसे आज मूर्त रूप दिया गया है। पूर्व प्राचार्य सूरज प्रसाद सिंह सरस्वती के वरद पुत्र थे। यह पुस्तकालय उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित करने का एक माध्यम बन रहा है। हमें यह आशा है की यह पुस्तकालय निरंतर उन्नति करता हुआ मेधावी और होनहार छात्रों के लिए हितकारी साबित होगा। इस अवसर पर स्वागत भाषण करते हुए विद्यालय के शिक्षक अविनाश कुमार ने सूरज बाबू की जीवनी पर प्रकाश डाला। जेएनयू के पूर्व छात्र तथा विद्यालय के विद्वान शिक्षक मनोहर प्रसाद ने भी सूरज बाबू के जीवन प्रसंग और संगीत कला प्रेम पर प्रकाश डाला। करुणानिधान सेवा ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष घनश्याम कुमार शिक्षिका विद्या कुमारी आदि ने भी अपने विचार रखें। स्कूल के विद्यार्थियों ने इस अवसर पर सुंदर भजन का गायन किया। सूरज बाबू अमर रहे के घोष के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।