बाढ़। भारतीय रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा की बदहाल स्थिति है। स्टेशन पर तैनात जीआरपी के पुलिस बल सिर्फ वसूली करने में लगे हुए रहते हैं और वास्तविक ड्यूटी से मुंह चुराते नजर आते हैं। बाढ़ रेलवे स्टेशन के ट्रैक का यह नजारा देखने से पता चलता है कि बाढ़ की जीआरपी पुलिस कितनी लापरवाह है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऊपर के पदाधिकारी की आंख में धूल झोंक कर यह लोग ड्यूटी करते हैं।
सोमवार की सुबह रेलवे के नियमों का उल्लंघन कर रेलवे ट्रैक को पार कर रहे एक व्यक्ति की जान जाते-जाते बची गई, नही तो दुर्घटना के शिकार हो जाते। एक व्यक्ति रेलवे ट्रैक को पार कर रहा था, उस समय प्लेटफार्म संख्या-3 पर बरौनी-दानापुर-मोकामा पैसेंजर ट्रेन खड़ी थी। उसे पकड़ने के लिए ऊपरी पुल का प्रयोग करने के बजाए ट्रैक पर से ही एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने लगा। ठीक उसी समय दूसरी तरफ से बख्तियारपुर की ओर से प्लेटफार्म संख्या-2 पर दानापुर-साहिबगंज इंटरसिटी एक्सप्रेस पहुंच गई, जिसके चपेट में आने से लोगों के प्रयास से उस व्यक्ति को बचा लिया गया। अगर सेकंड की भी देरी होती, तो युवक की जान चली जाती है। यह नजारा हर दिन देखने को मिल रहा है।
बाढ़ में दो पटरियों के बीच घेरा नही होने के कारण यात्री लापरवाही करते हैं और रेलवे के नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। वहीं दूसरी तरफ रेलवे के नियमों का पालन कराने का जिम्मा रेल प्रशासन एवं स्थानीय जीआरपी का है। रेलवे प्लेटफार्म पर जीआरपी को इसलिए दिया जाता है ताकि रेल यात्रियों की जान-माल की सुरक्षा कर सकें। लेकिन जब रेल प्रशासन चुस्त-दुरुस्त नहीं है, तो आम आदमी का क्या? ऐसे में यात्रियों के बीच जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।