इस साल खसरे के कारण होनी वाली मौतों में भी उछाल आया है। मुंबई में 2019 में खसरे से तीन मौतें दर्ज की गई थीं। 2020 में भी तीन मौतें हुई, जबकि 2021 में दो लोगों की मौत हुई थी। वहीं इस साल अब तक आठ बच्चे जान गंवा चुके हैं।
एक तरफ कोरोना के मामलों में गिरावट जारी है तो दूसरी तरफ मुंबई में खसरे के प्रकोप ने चिंता बढ़ा दी है। यहां खसरा बीमारी नियंत्रण से बाहर हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, अब तक मुंबई में 184 मामलों की पुष्टि की गई है तो वहीं आठ बच्चों की मौत हो चुकी है।
आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई में इस साल खसरे के मामलों में कई गुना वृद्धि देखी गई है, जबकि 2020 में 25 मामले और पिछले साल नौ मामले दर्ज किए गए थे।
मौतों की संख्या में भी हो रही वृद्धि
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल खसरे के कारण होनी वाली मौतों में भी उछाल आया है। मुंबई में 2019 में खसरे से तीन मौतें दर्ज की गई थीं। 2020 में भी तीन मौतें हुई थीं, जिसमें नागपुर, चंद्रपुर और अकोला में एक-एक मौत दर्ज की गई थी। वहीं, 2021 में एक-एक मौत की सूचना मिली थी। जबकि, इस साल अब तक आठ बच्चों की मौत हो चुकी है।
पूरे महाराष्ट्र में बढ़ रहे मामले
अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ मुंबई ही नहीं, बाहर भी खरसे का प्रकोप बढ़ रहा है। 17 नवंबर तक पूरे राज्य में इस बीमारी के 503 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें ठाणे जिले के भिवंडी सात मामलों और नासिक के मालेगांव में पांच मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में पूरे राज्य में 153, 2020 में 193 और 2021 में 92 मामले सामने आए थे।
क्या हैं लक्षण
बीएमसी की पूर्व में जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि खसरे में बच्चे को बुखार, सर्दी, खांसी और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इस बीमारी से जटिलताएं उन बच्चों में गंभीर हो सकती हैं जिन्हें आंशिक रूप से टीका लगाया गया है या जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि खसरे के मामलों में अचानक से हुए इजाफे के प्रमुख कारणों में खराब जीवन यापन का तरीका, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, खराब पोषण, निम्न प्रतिरक्षा और टीकाकरण की कमी है।