नेपाल में नई सरकार चुनने के लिए मतदान जारी है। इस दौरान संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में से 165 का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के जरिये होगा, जबकि शेष 110 को आनुपातिक मत प्रणाली से चुना जाएगा।

नेपाल में आज राष्ट्रीय और प्रांतीय सरकारें चुनने के लिए मतदान जारी है। संघीय संसद की 275 और सात प्रांतों में विधानसभाओं की 550 सीटों  के लिए भारी संख्या में लोग वोटिंग कर रहे हैं। करीब 1.79 करोड़ मतदाता स्थानीय समयानुसार रविवार सुबह सात बजे से मतदान कर रहे हैं। यह मतदान शाम पांच बजे तक होगा। इस दौरान संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में से 165 का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के जरिये होगा, जबकि शेष 110 को आनुपातिक मत प्रणाली से चुना जाएगा। इसी तरह प्रांतीय विधानसभाओं के कुल 550 सदस्यों में से 330 का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से होगा, जबकि 220 का आनुपातिक मत प्रणाली से चुने जाएंगे। मतदान समाप्त होते ही मतगणना और नतीजे आने शुरू हो जाएंगे, हालांकि अंतिम परिणाम आने में करीब एक सप्ताह का समय लग सकता है।  

नेपाल की चुनावी राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि इसबार भी त्रिशंकु सरकार ही बनेगी। मोटे तौर राष्ट्रीय स्तर पर स्थिर सरकार के गठन की उम्मीदें कम ही हैं, क्योंकि बीते डेढ़ दशक से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे नेपाल में इस बार भी चुनावों में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है। हालांकि, चुनाव पूर्व हुए कई सर्वेक्षणों में दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ गठबंधन की वापसी तय है।

डेढ़ दशक में किसी प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा नहीं 
नेपाल में हुए गृह युद्ध के बाद 239 वर्ष पुराने राजतंत्र का अंत हुआ। हालांकि, इसके बाद से नेपाल में 10 बार सरकारें बदल चुकी हैं। इसके अलावा 2008 से अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। एक दल को स्पष्ट बहुमत के अभाव में सरकार कई अहम मसलों पर फैसले नहीं ले पाती है, जिससे नेपाल की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

दो गठबंधनों के बीच टकराव
सत्ता के लिए मोटे तौर पर लोकतंत्र समर्थक और माओवादी विचारधारा के बीच संघर्ष रहता है। हालांकि, सरकार बनाते वक्त दोनों विचारधाराओं के दल कॉमन मिनिमम एजेंडे के आधार पर गठबंधन करते हैं। लंबे समय तक एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओवादी, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन में शामिल हैं। 

मैदान में पांच हजार से ज्यादा उम्मीदवार 
राष्ट्रीय व प्रांतीय चुनाव के लिए 5,907 उम्मीदवार मैदान में हैं। करीब 2,412 उम्मीदवार संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से 867 निर्दलीय हैं। मतदान को निर्बाध बनाने के लिए 22,000 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं। नेपाल के चुनाव आयोग ने देश के 77 जिलों में चुनाव के लिए 2,76,000 कर्मचारियों व करीब तीन लाख सुरक्षाकर्मियों को को चुनावी ड्यूटी पर तैनात किया है।

चुनाव आयोग और सेना ने कसी कमर
नेपाल के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) दिनेश कुमार थपलिया ने कहा कि नेपाल के लोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और भयमुक्त वातावरण में सरकार चुनने जा रहे हैं। निष्पक्ष चुनाव तय करने के लिए नेपाली सेना प्रमुख जनरल प्रभुराम शर्मा ने थपलिया से मुलाकात की और सुरक्षा संबंधी मसलों पर विस्तृत चर्चा की। सेना प्रमुख ने बताया कि सुरक्षा व निष्पक्ष चुनाव के लिए नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को 72 घंटे के लिए सील कर कर दिया है। इसके अलावा चुनावा आयोग ने शराब की बिक्री व परिवहन पर भी रोक लगा दी है। 

पक्ष-विपक्ष के एक जैसे वादे  
मौजूदा प्रधानमंत्री देउबा के नेतृत्व में सत्ताधारी गठबंधन और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन ने मतदाताओं को लुभाने के लिए एक जैसे वादे किए हैं। मसलन सत्ताधारी गठबंधन ने हर वर्ष 2.5 लाख नौकरियां देने का वादा किया है, वहीं विपक्षी गठबंधन ने 5 लाख नौकरियों का वादा किया है। इसके अलावा सुशासन, जवाबदेह व पारदर्शी सरकार का वादा भी किया गया है। इसके अलावा चीन का दखल और सीमा-विवाद भी चुनावों का बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा भारत और चीन दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना भी चुनावी वादों में शामिल है।

हिंदू राष्ट्र व राष्ट्रवाद भी मुद्दा
मुख्य विपक्षी नेता व पूर्व प्रधानमंत्री ओली ने नेपाली राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया की तर्ज पर मेक इन नेपाल जैसी योजना लाने का वादा किया है। वहीं, कमल थापा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने, प्रधानमंत्री के प्रत्यक्ष निर्वाचन और औपचारिक संवैधानिक राजशाही को बहाल करने के मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है।

By LNB-9

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