बाढ़ में खाद की कालाबाज़ारी से इन दिनों अन्नदाताओं की परेशानी ज्यादा बढ़ गई है। हालात यह है कि सरकारी मूल्य पर ₹265 में मिलने वाला खाद का पैकेट खुले बाजार में ₹300 से लेकर ₹450 तक बेचा जा रहा है, जिसके चलते किसान मजबूरी में पैसे बचाने के लिए सरकारी दाम पर मिलने वाले बिस्कोमान भवन में सुबह के 4:00 बजे से लेकर रात के 8:00 बजे तक अपने नंबर का इंतजार करते नजर आते हैं। वहीं सैकड़ों किसानों को इसके बावजूद भी बिना खाद के ही घर वापस लौटना पड़ता है और फिर अगले दिन भूखे प्यासे लाइन में खड़े होने की नौबत आती है। ऊपर से पुलिस के डंडे भी पड़ते हैं।
किसानों का कहना है कि उनके खेत में पट बंद कर दिए गए हैं। लेकिन खाद नहीं होने के चलते गेहूं के फसल पूरी तरह से बर्बाद हो रहा है कालाबाजारी से खाद खरीदना उनकी मजबूरी है। रविवार के दिन बाढ़ रेलवे स्टेशन दुर्गा मंदिर के पास एक खाद के दुकान के पास किसानों की काफी भीड़ देखी गयी। वहां ना तो सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था थी और न ही अधिकांश लोग मास्क लगाए हुए थे। वैसे विषम परिस्थिति में किसान धक्का-मुक्की करते हुए ₹300 प्रति पैकेट के हिसाब से कालाबाजारी हो रहे खाद लेने के लिए आपाधापी करते नजर आए। किसानों ने बताया कि यहां भी मारामारी है और रेलवे स्टेशन के पश्चिमी फाटक के पास के दुकानदार भी अपने दुकान बंद करके पिछले दरवाजे से खाद बेचने का काम कर रहे हैं। इसके लिए पुलिस प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं है ।