बाढ़। अनुमंडल मुख्यालय के प्रखंड कार्यालय परिसर में संचालित विद्यालय का यह नजारा बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक कलंक से कम नहीं है। हालात यह है कि प्राथमिक विद्यालय कचहरी में कुल 80 बच्चे नामांकित हैं, जिसे पढ़ाने के लिए 2 शिक्षकों की बहाली की गई है। वर्ष 2006 में एक भवन पूर्व से बना हुआ था। बाद में दूसरा भवन वर्ष 2013-14 में बना, लेकिन इस विद्यालय के अधिकांशतः भवन और परिसर अतिक्रमण से ग्रसित है।
विद्यालय भवन में लाखों-लाख रुपए के करीब एक ट्रक सरकारी पुस्तक वर्ष 2017 से पड़े हुए हैं, जिसे चूहा और दीमक खा रहे हैं। वही दूसरे कमरे में कबाड़खाना बना हुआ है और तीसरे कमरे में ट्रायल साइकिल अस्त-व्यस्त पड़ा हुआ है। बच्चों को पढ़ाने के लिए एक कमरा छत पर सुरक्षित है।
विद्यालय के पश्चिमी भाग में स्थानीय लोगों के द्वारा विद्यालय के बाउंड्री वॉल युक्त जमीन को अतिक्रमण करते हुए लोगों ने अपना गौशाला और झोपड़ी बना लिया है। चारों तरफ मवेशी के लिए चारा पड़ा हुआ है। विद्यालय परिसर के मुख्य गेट के पास नगर परिषद बाढ़ द्वारा वर्ष 2020-21 में करीब दो लाख की लागत से नल-जल योजना के तहत बोरिंग और जल मीनार लगाया तो गया है, लेकिन इसे आज तक चालू नहीं किया गया है और ना ही इसका पाइप का विस्तारीकरण किया गया है। यहां तक कि विद्यालय परिसर के बच्चे को भी यहां का पानी नसीब नहीं हो रहा है।
हर तरफ गंदगी का अंबार और अतिक्रमण प्रखंड विकास पदाधिकारी के आवासीय बाउंड्री से सटा हुआ है। अधिकारी कभी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं, जिसके चलते यहां के बच्चों को खेलने कूदने में भी परेशानी होती है। चारों तरफ मवेशी के चलते गंदगी का अंबार है। वहीं सरकार के द्वारा भेजे गए करीब एक ट्रक पुस्तक बर्बाद हो रहे हैं। इस बाबत जब प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी और अनुमंडल पदाधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो बाबू कुंवर सिंह जयंती के चलते कार्यालय बंद पाया गया पर यह समस्या हमारे सरकारी व्यवस्था के लिए एक कलंक साबित हो रहा है, यहां के शिक्षक लाचार और बेबस नजर आ रहे हैं।