पटना जिला ब्यूरो, बाढ़। बाढ़ के उत्तरवाहिनी गंगा घाट उमानाथ से सटे सती स्थान मे प्रतिदिन करीब 2 दर्जन से भी ज्यादा लाशों का दाह संस्कार किया जाता है। ठंड के दिनों में यह संख्या और भी बढ़ जाती है। आम की लकड़ी से लाश को जलाए जाने के बाद लकड़ी का मलवा और अधजले लाश से बड़े पैमाने पर गंगा नदी प्रदूषित होने के साथ-साथ वायुमंडल में भी बड़े पैमाने पर प्रतिदिन प्रदूषण फैलता है।
स्थानीय लोगों के द्वारा कई बार विद्युत शवदाह गृह के निर्माण की आवाज उठाए जाने के बावजूद भी आज तक प्रशासन ने इसके प्रति कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसके चलते बाढ़ में भी बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। आसपास के लोगों को दुर्गंध से भी परेशानी होती है। खासकर गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने से दूरदराज से आने वाले लोगों को लाश जलाने में भी परेशानी होती है।
बुनियादी सुविधा के अभाव में यह मोक्ष धाम आने वाले लोगों को काफी असुविधा होती है। मामले पर जब नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष कुमार गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दुर्भाग्यवश यह स्थल नगर परिषद क्षेत्र में नहीं आता है। ग्रामीण क्षेत्र में होने के चलते ग्रामीण विकास विभाग ही इस मामले पर विचार कर सकता है या तो फिर नमामि गंगे प्रोजेक्ट के द्वारा गंगा को स्वच्छ रखने के लिए नमामि गंगे योजना के तहत निर्माण कार्य कराया जा सकता है।