पटना जिला ब्यूरो, बाढ़। बिहार सरकार में राजद कोटे से मंत्रियों पर लगातार आरोप लग रहे हैं या फिर वे किसी अन्य कारणों से हटाए जा रहे हैं। अब तक दो मंत्रियों (कार्तिक कुमार और सुधाकर सिंह) ने पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं अब राजद कोटे से उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ के यहां ईडी की छापेमारी हुई है। उनके मंत्री पद से इस्तीफे की चर्चा राजनीतिक गलियारों में जोरो पर है।

 आइए, पहले जानते हैं समीर महासेठ को:

17 नवंबर को समीर महासेठ के पटना में इनकम टैक्स गोलंबर स्थित आवास पर छापेमारी हुई। यह छापेमारी ईडी की ओर से की गई। उनके करीबी माने जानेवाले कई बिल्डरों के यहां भी छापेमारी की गई। हालांकि उनका कहना है कि उन सबसे इनका कोई संबंध नहीं है। लेकिन जानकारी है कि ईडी के अफसरों को इस बात के साक्ष्य मिल रहे हैं कि कंस्ट्रक्शन से जुड़ी कई बड़ी कंपनियों में सफेदपोशों का पैसा लगा हुआ है। समीर महासेठ की पहचान एक बिजनेसमैन के रूप में भी रही है। उनके पिता राजकुमार महासेठ तीन बार विधायक रहे और मंत्री भी रहे।

हालांकि इस कार्रवाई पर राजद शांत है। पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी के अनुसार उनके नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही कह दिया है कि साल 2024 तक यही सब चलेगा। तिवारी कहते हैं कि जो राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ सकते, युवाओं को रोजगार नहीं दे सकते, वो यही सब कर सकते हैं। इस तरह की किसी कार्रवाई का असर राजद पर नहीं पड़ेगा। उल्टे जनता का गुस्सा भाजपा के प्रति बढ़ेगा ही।

राजद के अन्य नेताओं पर भी CBI ने दी दबिश

समीर सिंह महासेठ और बाकी मंत्रियों की बात छोड़ दें तो राजद के अन्य नेताओं, जिनमें लालू प्रसाद के कई करीबी हैं, के यहां भी हाल के दिनों में छापेमारी हुई है। इसमें लालू प्रसाद के सबसे बड़े करीबी और ओएसडी रहे भोला यादव। इनको गिरफ्तार कर पूछताछ भी की गई। वे अभी जमानत पर हैं।

लालू प्रसाद के करीबी बिस्कोमान के चेयरमैन सुनील कुमार सिंह के पटना स्थित आवास पर छापेमारी की गई। पूर्व विधायक अबू दोजाना के यहां भी सीबीआई ने छापेमारी की थी। उन्हें नोटिस भी जारी किया था।

लालू प्रसाद के करीबी और बालू वाले नेता के रूप में पहचान रखने वाले सुभाष यादव के घर पर भी सीबीआई ने छापेमारी की थी। पूर्व एमएलसी सुबोध राय, दो राज्यसभा सांसदों अशफाक करीम और फैयाज अहमद पर भी सीबीआई दबिश कर चुकी है। तेजस्वी यादव के करीबी और उनके रणनीतिकार संजय यादव को भी सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया।

अब एक नजर कार्तिक कुमार और सुधाकर सिंह के मामले पर

कार्तिक कुमार, मोकामा के पूर्व विधायक बाहुबली अनंत सिंह के खासमखास हैं। उन पर अपहरण में संलिप्त होने का आरोप है। कार्तिक कुमार पटना से एमएलसी हैं। उन्हें नई नीतीश-तेजस्वी सरकार में अनंत सिंह की ताकत की वजह से कानून मंत्री बनाया गया। जब विवाद बढ़ा तो नीतीश सरकार ने उनको कानून मंत्रालय से हटाया और गन्ना विभाग दे दिया।

इसके बाद भी विवाद नहीं थमा तो उन्होंने 30 अगस्त को मंत्री पद से इस्तीफा दिया। इनके इस्तीफे के बाद हुए मोकामा विधान सभा उपचुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी की जीत हुई।

सुधाकर सिंह का मामला कार्तिक कुमार से अलग है। सुधाकर सिंह को नीतीश-तेजस्वी सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया था। सुधाकर सिंह ने अपने ही विभाग पर सार्वजनिक मंच से सवाल उठाया और कहा कि मेरे विभाग में चोर भरे पड़े हैं और मैं चोरों का सरदार हूं।

सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार के कृषि रोड मैप पर भी सवाल उठाया और स्वतंत्र संस्था से जांच कराने की बात कही। उन्होंने मंडी व्यवस्था लागू करने, अनाज खरीद में पैक्स के साथ ही मल्टीपल एजेंसियों को मौका देने और अनाज खरीद में एमएसपी लागू करने की मांग भी की थी। अपने कृषि विभाग में उन्होंने पीत पत्र तक जारी कर दिया था। बिहार कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी बतकही भी हो गई थी और सुधाकर गुस्सा कर बैठक से बाहर निकल गए थे।

बाद में नीतीश कुमार ने कृषि विभाग के प्रधान सचिव की तारीफ कर दी, जिससे माना गया कि सुधाकर पर इस्तीफे का दबाव बना। आखिरकार लालू प्रसाद के कहने पर सुधाकर ने गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर को कृषि मंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया। उनके पिता राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस्तीफे को बलिदान कहा और इसके बाद से जगदानंद सिंह ने राजद कार्यालय आना भी छोड़ दिया है।

By LNB-9

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